(શ્રી ભાવિનભાઈના આભાર સાથે એમની આ કટાર અહીં પૂરી થાય છે.)
(૧૩) સ્ટાર ક્રોસ્ડ લવર્સ : તમે ક્યારેય હારેલી બાજી રમી છે?
सूफी के सुफे की लौ उठ के कहती है, आतिश ये बुझ के भी जलती ही रहती है
साहिल पे सर रखके दरिया है सोया है, सदियों से बहता है आँखों ने बोया है
तन्हाई ढूँढता है परछाई बुनता है रेशम सी नज़रों को आँखों से सुनता है
ये इश्क है रे ये इश्क है बेखुद सा रहता है यह कैसा सूफी है
जागे तों तबरीज़ी बोले तों रूमी है… – ગુલઝાર Continue reading ભાવિન અધ્યારૂની કટાર – ૧૩ (અંતીમ)